Monday, April 20, 2020

कहानी वाक़ई फ़िल्मी होगी...

इन दिनों माहौल कुछ ऐसा है कि सभी अपने घरों में बंद हैं और ऐसे में सब अपनी कोई न कोई हॉबी तलाश रहे हैं ऐसे में एक सहकर्मी के साथ मिलकर हमने शुरू की गीतों वाली एक शृंखला जिसका नाम रखा गया “तीन तक तीन, धिन तक धिन”। जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है शृंखला गीतों से भरी है रोज़ाना ऐसे तीन गीत जिनमें कोई न कोई ख़ासियत हो। बस उनके साथ गीतों को शामिल किया जाता है। 

अब क्योंकि गीत चुनने और उनकी ख़ासियत बताने की ज़िम्मेदारी मुझ पर है तो लगा कि इन गीतों और उनकी ख़ासियत को कहीं लिखकर रखना भी सही होगा जिससे जो बातें इस शृंखला के दौरान मैं जान रही हूँ या जो बातें पिछले कुछ शोज़ के ज़रिए पहले से पता चली हैं उन्हें भी यहाँ जगह मिल जाए। तो इस तरह इन पंद्रह दिनों की शृंखला को संजोने के लिए और जो बातें समय की बाध्यता के कारण ऑडीओ क्लिप में नहीं आ पाती हैं उन्हें सुरक्षित रखने के लिए इस ब्लॉग को बनाने का विचार आया। नाम रख दिया “कहानी पूरी फ़िल्मी है...”

आज से इस ब्लॉग की शुरुआत कर रही हूँ। उम्मीद है कि पंद्रह दिन की इस शृंखला के बाद भी अपने इस ब्लॉग को समय-समय पर पर्याप्त वक़्त और पर्याप्त सामग्री दे पाऊँगी। इसके साथ ही जैसे इन दिनों सभी अपने पुराने दिनों को याद कर रहे हैं और TV पर रामायण, महाभारत, चाणक्य जैसे सीरियल देखकर एक अलग ही अनुभव कर रहे हैं वैसे ही ब्लॉग के दिनों की यादें भी इन दिनों में ताज़ा हो जाएँगी। ये तो हो गयी ब्लॉग के निर्माण की बात अब शुरू करते हैं इस ब्लॉग में जानकारियों का ख़ज़ाना भरने की कोशिश।

(फ़ोटो ख़ुद ही ली थी जब पहली और अब तक आख़िरी बार गंगा घाट जाना हुआ था..ये एक अच्छा शॉट लगता है इसलिए शुरुआत इसी से)

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